अब की बार ‘बैसाखी’ पर सरकार,क्या मोदी चला पाएंगे गठबंधन सरकार?

बीजेपी को 240 सीटें मिली हैं. सरकार बनाने के लिए 272 के आँकड़े चाहिए. एनडीए गठबंधन के खाते में क़रीब 292 सीटें आई हैं और विपक्षी इंडिया गठबंधन को 234 सीटें मिली हैं.सरकार बनाने के लिए मोदी और बीजेपी के सामने अब इन पुराने सहयोगियों के साथ तालमेल बिठाने की ज़रूरत पड़ेगी.
दिलचस्प ये है कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू दोनों ही कुछ समय पहले तक केंद्र की मोदी सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए थे और इसीलिए अब एनडीए गठबंधन में उनकी हैसियत बहुत अहम किरदार वाली हो गई है.
ताज़ा नतीज़ों के बाद सत्ता समीकरण में इन दोनों नेताओं के किंगमेकर की भूमिका में आ जाने पर सरकार बिना नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की बैसाखी के नहीं चल पाएगी और नीतीश कुमार मौसम की तरह बदलते रहते हैं.”
अब सवाल ये है कि ये बैसाखी बीजेपी के गले में घंटी बन गई है. ये दोनों ही पुराने उस्ताद और मंझे हुए राजनेता हैं और ख़ास तरह की राजनीतिक सोच रखने वाले हैं और इस सत्ता समीकरण में वो पूरी क़ीमत वसूल करेंगे और अपनी मांग रखेंगे कि ये ये चाहिए, तभी रहेंगे.इन चुनावी नतीजों का प्रमुख संदेश है कि पीएम मोदी को एनडीए के सभी घटक दलों को साथ लेकर चलना होगा.
सबसे बड़ी चुनौती ये है कि मोदी जी के दस साल के कार्यकाल में सत्ता में किसी की भागीदारी नहीं थी, सिवाय खुद प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के. अब वो सत्ता में भागीदारी बढ़ाएंगे, लोगों की सुनी जाएगी तो सरकार चल पाएगी. यानी सरकार के गठबंधन धर्म का पालन करेंगे और वाजपेयी मॉडल अपनाएंगे तो ये सरकार चला पाएंगे.
मोदी को इस मॉडल के बारे में अपने जीवन में कोई अनुभव ही नहीं है. 2002 से 2024 तक तीन बार मुख्यमंत्री रहते और दो बार प्रधानमंत्री रहते उन्होंने एकछत्र राज किया. अब अचानक तालमेल और सहमति की राजनीति करना एक चुनौती होगी. अब वो इस नई भूमिका को कितना अपना पाते हैं उसी पर इस सरकार का टिकाउपन निर्भर करता है.

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