अयोध्या में जिस राम मंदिर की भव्य प्राण प्रतिष्ठा हुई,वहां की फैजाबाद संसदीय सीट से बीजेपी हार गई है. बनारस का ये मूड नजर आया कि जहां जोशोखरोश से काशी विश्वनाथ का मंदिर और कॉरीडोर बना, वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले वोट कम हो गए. ये वो यूपी है जिसने इस चुनाव में बीजेपी को पांच साल पहले की तुलना में आधी सीटों पर समेटने का बिगुल बजा दिया.
यूपी का सियासी इतिहास है कि ये जिस भी पार्टी को अकूत सीटें और वोट देकर सिर पर बिठाता है, उसे उतार भी देता है.यूपी का ये सियासी तेवर और मूड आज से नहीं बल्कि 1952 में तब से है जब भारतीय लोकतंत्र की शुरुआत हुई. लिहाजा जो भी पार्टियां यूपी को अपने साथ मानती हैं और सोचती हैं कि ये तो अब उनकी लहर पर सवार है तो ये तुरंत उनकी इस खामख्याली को सुधार देता है.
आपातकाल के बाद देश में अगर इंदिरा गांधी के खिलाफ अगर किसी राज्य ने सबसे ज्यादा गुस्सा दिखाया था तो भी ये उतर प्रदेश था और जब उन्हीं इंदिरा की हत्या हुई तो सहानुभूति से उपजी लहर में रिकॉर्ड सीटें जिताने का काम भी इस सूबे ने किया. जब वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव हुए तो बीजेपी को 71 सीटें दिलाकर केंद्र में उसकी सरकार बनवाने का काम भी यूपी से ही हुआ.