Expresslivenews.com(Reported by:Sardar Hussain)
मुहर्रम का चाँद नज़र आते ही इमाम हुसैन के अज़ादार शोक में डूब जाते हैं और अधिकतर लोग काले कपड़ों में नज़र आते है। बच्चे,बूढ़े तथा महिलाओं से शहर के इमाम बारगाह भरे रहते है। ऐतिहासिक शहर शिकारपुर की अज़ादारी दूर दूर तक मशहूर है शहर में स्थित रोज़ा ए ज़ैनबिया जिस का निर्माण समाज सेवक स्वर्गीय हाजी अब्दुल वहीद ने 1985 में कराया था,रोज़ा ए ज़ैनबिया में हर वर्ष 1 मुहर्रम से 9 मुहर्रम तक मजलिसों का सिलसिला जारी रहता है और 10 मुहर्रम की मजलिस का आयोजन कर्बला वाली मस्जिद में होता है,वर्तमान की मजलिसों को अमरोहा से आये मौलाना सय्यद मंज़ूर अली साहब सम्बोधित कर रहे हैं। मौलाना ने अपने एक सम्बोधन में कहा था कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने अंतिम समय में कहा था कि मुझे अव्वल ए वक़्त कि नमाज़,क़ुरान और अल्लाह से तौबा सब से अधिक पसंद है।
दूसरा अशरा ए मजालिस,शहर की मस्जिद ए इमाम ए असर में आयोजित किया गया है जिस में मौलाना सय्यद फ़ुरक़ान हैदर ज़ैदी ख़िताब कर रहे हैं उक्त मौलाना ने अपनी तक़रीर में अज़ादारों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि हमें अज़ादारी करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारी अज़ादारी के कारण किसी को कष्ट न पहुंचे और नमाज़ छूट न जाये उसे वक़्त पर अदा करना चाहिए
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