बस्ती रेलवे स्टेशन पर जब मालगाड़ी का खाद लदा एक डिब्बा पहुंचा तो उसके कागजात देख मालगोदाम के अधिकारी हैरान रह गए. पता चला कि इस खाद भरे डिब्बे को विशाखापट्टनम से बस्ती की 1,326 किलोमीटर दूरी तय करने में लगभग चार साल लग गये.
इस डिब्बे में 1,316 डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) खाद के बोरे थे जो 10 नवंबर 2014 को विशाखापट्टनम से बुक किए गए थे. यह डिब्बा शुक्रवार दोपहर बस्ती पहुंचा.
इस बारे में उत्तर पूर्वी रेलवे के संजय यादव ने गोरखपुर से बताया कि यह खाद भरी मालगाड़ी 2014 में विशाखपट्टनम से बस्ती के लिये भेजी गयी थी. लेकिन इसका एक डिब्बा वहां से रवाना होते ही खराब हो गया और यार्ड में ही खड़ा रहा. रेलवे का कहना है कि ‘जब कोई वैगन या बोगी जर्जर हो जाती है तो उसे यार्ड में भेज दिया जाता है, कुछ ऐसा ही इस ट्रेन के साथ भी हुआ होगा. हालांकि स्पष्ट रूप से कुछ बोलने से अधिकारी भी बच रहे हैं.
इस बीच, इससे जुड़े कारोबारी रामचन्द्र गुप्ता ने इस डिब्बे के बारे में कोई जानकारी नहीं ली और रेलवे को भी इस बारे में पता नहीं चला. अब इस डिब्बे के बारे में गुप्ता को जानकारी दे दी गयी है. रिपोर्टस के मुताबिक, इतने वक्त के बाद जब मालगाड़ी की तलाशी ली गई तो पता चला कि उसमें खाद है. हालांकि लगभग 50 फीसदी से ज्यादा खाद खराब हो चुकी थी.