केंद्र सरकार से बोतल बंद मिनिरल वाटर के नाम पर बाजार में बिक रहे पानी के उचित दाम तय करने के लिए नीति बनाने को कहा गया है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने कहा है कि इस पानी की गुणवत्ता पर भी नजर रखने की आवश्यकता है।
समिति ने कहा है कि बोतल बंद पानी के कारोबार से जुड़े उद्योग भूजल का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं। इसलिए सरकार को इस मामले में समग्र नीति बनानी चाहिए। संसदीय समिति ने बाजार में बिकने वाले जल की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए हैं। समिति ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि इस बोलतबंद पानी की गुणवत्ता को लेकर भूमिगत जल बोर्ड ने अभी तक कोई अध्ययन नहीं किया है। जबकि 88 औद्योगिक क्षेत्रों के भूजल को लेकर बोर्ड ने जो अध्ययन किया गया था, उसमें भूजल की गुणवत्ता खराब पाई गई।
सांसद हुकुम सिंह की अध्यक्षता वाली इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने इस करोबार के लाभ का आकलन तक नहीं किया है। सरकार को जल के वाणिज्यिक उपयोग के लिए नीति बनानी चाहिए। समिति ने कहा है कि पैक्ड वाटर इंडस्ट्री को लाइसेंस देने की प्रक्रिया को और कठोर बनाने की जरूरत है। निजी कंपनियों को सिर्फ व्यावसायिक लाभ के लिए भूजल के दोहन की छूट नहीं देनी चाहिए।
इस दोहन को रोकने के लिए सरकार-निजी क्षेत्र की भागीदारी यानी पीपीपी को बढ़ावा दिया जा सकता है। सरकार को जल के वाणिज्यिक उपयोग के लिए नीति बनानी चाहिए। समिति ने कहा है कि पैक्ड वाटर इंडस्ट्री को लाइसेंस देने की प्रक्रिया को और कठोर बनाने की जरुरत है।
इन पर भारी टैक्स भी लगाना चाहिए। इस उद्योग के लिए उन क्षेत्रों में ही लाससेंस देने चाहिए जहां बारिश से भूजल का स्तर फिर से ठीक हो जाता है।