कर्नाटक के स्थानीय निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जेडी (एस) के करीब आधी सीटों पर जीत हासिल करने के बाद पार्टी के हौसले बुलंद हैं. एक तरह से गठबंधन सरकार ने पहली परीक्षा पास कर अच्छे नंबर हासिल किए हैं. पार्टी ने इसे गठबंधन सरकार के काम पर जनता की मुहर बताया है. खास बात ये है कि इस बार जेडीएस को शहरी वोट भी मिले हैं. इस नए ट्रेंड ने जेडीएस में जोश भर दिया है. पार्टी का कहना है कि बीजेपी को दूर रखने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन जारी रहेगा.
सीएम कुमारस्वामी ने कहा, शहरी वर्ग सामान्य तौर पर बीजेपी के लिए वोट करता है, लेकिन इस बार जो नतीजे सामने आए हैं उससे पता चलता है कि शहरी वर्ग ने कांग्रेस-जेडीएस की सरकार के लिए दिल खोलकर वोट किया है. वहीं, जेडी(एस) महासचिव कुंवर दानिश अली ने कहा कि दोनों पार्टियां अलग लड़ीं थीं, लेकिन जनता ने अपना पूरा समर्थन दिया है. यह परिणाम गठबंधन सरकार के काम पर जनता की मुहर है. उन्होंने कहा कि जिन निगमों में खंडित जनादेश आया है वहां कांग्रेस और जेडीएस हाथ मिलाएंगे.
स्थानीय निकाय चुनाव कांग्रेस और जेडी(एस) ने अलग अलग लड़ा था. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी परिणामों के अनुसार, कांग्रेस को कुल 982 सीटें मिली हैं जबकि विपक्षी दल भाजपा को 929 सीटें हासिल हुई हैं. कांग्रेस के सहयोगी दल जेडी(एस) को 375 सीटों पर जीत मिली है.
कर्नाटक में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में कांटे की टक्कर के बाद कांग्रेस को विपक्षी दल बीजेपी पर कुछ बढ़त हासिल हो गई है. गौरतलब है कि स्थानीय निकाय चुनाव त्रिकोणीय रहा है जहां कांग्रेस, उसके सत्तारूढ़ सहयोगी जेडीएस और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा हैं हालांकि कांग्रेस और जेडीएस पहले से चुनाव के बाद गठबंधन करने की घोषणा कर चुके थे.
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी परिणामों के अनुसार, कांग्रेस को कुल 982 सीटें मिली हैं जबकि विपक्षी दल बीजेपी को 929 सीटें हासिल हुई हैं. कांग्रेस के सहयोगी दल जेडीएस को 375 सीटों पर जीत मिली है. इसके अलावा अन्य दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में 329 सीटें आई हैं. कर्नाटक में तीन शहरी निकायों, 29 नगर पालिकाओं, 52 नगर निगमों और 20 कस्बा पंचायतों के चुनाव हुए हैं.
कांग्रेस और जेडीएस के पास 1,357 सीटें हैं जो भाजपा से काफी ज्यादा हैं. ऐसे में गठबंधन को ज्यादातर निकायों में भाजपा पर बढ़त हासिल हो जाएगी. इन चुनावों को प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस की लोकप्रियता की पहली परीक्षा माना जा रहा था.