Expresslivenews (Edited By: Sameer)
अगर आप यह सोच कर पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रहे हैं कि पासिंग मार्क्स न आने पर भी आपको अगली कक्षा में बैठने की अनुमति मिल जायेगी , तो यह ग़लत फ़हमी अपने दिमाग से निकल दें. क्योंकि अब केंद्र सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म करने का फैसला ले लिया है. बुधवार को हुए कैबिनेट मीटिंग में स्कूलों में फेल नहीं करने की नीति को खत्म करने की मंजूरी दी.
अब राइट टू एजुकेशन विधेयक में संशोधन किया जाएगा. इस संशोधन के बाद अब राज्यों को अनुमति दी जाएगी कि 5वीं-8वीं क्लास की परीक्षा में असफल होने पर उन्हें रोक सके. हालांकि छात्रों को परीक्षा के माध्यम से दूसरा मौका दिया जाएगा.
संसद में पारित किए जाने वाले प्रस्तावित विधेयक में, राज्यों को मार्च में 8वीं तक के छात्रों की परीक्षा कराने का अधिकार दिया गया है, इसमें फेल होने पर छात्रों को मई में परीक्षा में शामिल होने का एक आखिरी मौका दिया जाएगा. नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत स्कूल आने वाले किसी बच्चे को फेल न करने का प्रावधान है. साथ ही प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक निकाला न जाए. ज्यादा से ज्यादा बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा पूरी हो और परीक्षा के मानसिक दबाव से बच्चे मुक्त हों.
अगर छात्र दोनों प्रयासों में फेल रहते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में रोक लिया जाएगा. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 25 राज्य पहले ही इस कदम के लिए अपनी सहमति दे चुके हैं.