Expresslivenew.com(Reported by:Sardar Hussain)
शिकारपुर:यहाँ की मुहर्रम अज़ादारी जो सेंकडों वर्षों से मनाई जाती है,देश भर में मशहूर है. एक मुहर्रम से मातम व मजलिसों का सिलसिला नगर के विभिन्न इमाम बारगाहों में आरम्भ हो जाता है जो दो महीने दस दिन तक जारी रहता है.
आज 10 मुहर्रम का विशेष जुलूस नगर के मुख्य मार्गों से होता हुआ शाम 6 बजे कर्बला में सम्पन्न हुआ,जिस में अलम,ताजिये और ज़रीह मौजूद थे.जुलूस में हाथ,क़मा,ज़ंजीर और आग का मातम करने वालों में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल थे.
जुलूस में बच्चे,बूढ़े और महिलाएं “या हुसैन या हुसैन “के नारे लगा रहे थे जिस से पूरा माहोल शोक में डूब गया.
इस से पूर्व एक मजलिस का आयोजन रोज़ा ज़िनाबिया में हुआ जिस में मौलाना सना अब्बास ने कहा ” इमाम हुसैन ने कर्बला में नमाज़ को बचाने के लिए जान दी थी लिहाज़ा कोई भी हुसैन वाला बे नमाज़ी नहीं हो सकता और बे नमाज़ी हुसैन वाला नहीं कहा जा सकता ”
शाम को कर्बला वाली मस्जिद में मजलिस शामे गरीबां आयोजित हुई इस मजलिस को भी मौलाना सना अब्बास ने ही संबोधित किया जिस में उन्हों ने कर्बला में इमाम हुसैन की शहादत के बाद उन के परिवार की महिलाओं पर यज़ीद दुआरा किये गए ज़ुल्म पर प्रकाश डाला.मजलिस के बाद “हुसैनियत जिंदा बाद और यजीदियत मुर्दाबाद”के नारे लगाये गए.
कर्बला के बाहर विभिन्न सामाजिक लोगों ने सबिले इमाम हुसैन का आयोजन किया था जिन में खाना,पानी,शरबत,दूध इत्तियादी का भरपूर इन्तिज़ाम था.
“हुसैन वाला बे नमाज़ी नहीं हो सकता और बे नमाज़ी को हुसैनी नहीं कहा जा सकता”,मौलाना सना अब्बास:
शिकारपुर में मुहर्रम का ऐतिहासिक जुलूस " या हुसैन या हुसैन " के गगन चुम्बी नारों के साथ कर्बला पहुंचा,
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