मंदिर-मस्जिद के सुलगते मुद्दों के बीच लखनऊ नगर निगम ने शहर की ‘टीले वाली मस्जिद’ के सामने भगवान लक्ष्मण की मूर्ति स्थापित करने का फैसला किया है. इस मामले के सामने आने के बाद यूपी की योगी सरकार एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है. वहीं मौलवियों का कहना है कि मूर्ति लगने से मस्जिद में होने वाली धार्मिक क्रियाओं पर असर पड़ेगा.

यह मस्जिद उस वक्त चर्चा में आई थी जब बीजेपी नेता लालजी टंडन की किताब ‘अनकहा लखनऊ’ में बताया गया कि पुराने समय में ‘टीले वाली मस्जिद’ दरअसल ‘लक्ष्मण का टीला’ थी. हालांकि यह जमीन भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण के पास है और लखनऊ नगर निगम को मूर्ति लगाने के लिए स्वीकृति की जरूरत होगी.

हालांकि नगर निगम के अधिकारियों को मौलवियों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. मौलवियों का कहना है कि मूर्ति के आस-पास होने से वह इस्लामिक तरीके से अपने धार्मिक रीति-रिवाज नहीं कर पाएंगे. टीले वाली मस्जिद के मौलाना फजल ए मन्नान ने कहा कि ईद समेत कई इस्लामिक त्यौहारों के समय लाखों मुस्लिम मस्जिद के बाहर प्रार्थना करते हैं लेकिन जब मूर्ति लग जाएगी तो हम नवाज नहीं पढ़ पाएंगे.

मन्नान ने कहा कि ऐसा ही प्रस्ताव 1993-94 में भी आया था लेकिन विपक्ष के विरोध की वजह से लागू नहीं हुआ. मौलाना ने कहा कि वह इस मामले को बड़े लोगों के पास लेकर जाएंगे और उनसे दोबारा विचार करने के लिए गुहार लगाएंगे.

मीडिया से मुखातिब होते हुए लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया ने कहा हमारी कार्यसमिति में भगवान लक्ष्मण की मूर्ति लगाने का प्रस्ताव आया था लेकिन अभी तक मूर्ति लगाने के लिए जगह निश्चित नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि वह गंगा जमुनी तहजीब को ध्यान में रखते हुए सभी धर्मों के लोगों की भावनाओं का सम्मान करती हैं और इस मामले पर दोबारा विचार करेंगी.

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