इस्लाम को लेकर लोगों के मन में बैठे भय के लिए खुद मुस्लिम जिम्मेदार हैं। आज यदि दुनिया उनसे नफरत कर रही है तो इसे मोहब्बत में बदलने का काम भी उन्हें ही करना होगा। ये विचार मुस्लिम व‌र्ल्ड लीग के ईसा ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबुधाबी में फोरम फॉर प्रमोटिंग पीस इन मुस्लिम सोसाइटी की चौथी सालाना कांफ्रेंस में व्यक्त किए। कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए वह बोले, यह भ्रम इस्लाम की गलत व्याख्या के कारण हुआ। चंद लोगों ने अपने फायदे के लिए इसकी गलत व्याख्या की। इसी कारण लोगों के मन में इस्लाम के प्रति डर बैठा।

गत 11 दिसंबर को शुरू हुए इस तीन दिवसीय फोरम का आयोजन अबुधाबी के क्राउन प्रिंस शेख मुहम्मद बिन जायद अल नाहयान और उनके छोटे भाई व यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान की देखरेख में हो रहा है। मुस्लिम समाज में शांति को बढ़ावा देने के लिए इस फोरम का गठन किया गया है। फोरम के इस साल की थीम है ‘विश्व शांति और इस्लाम से बढ़ता भय।’ फोरम में दुनियाभर के 700 से अधिक अग्रणी इस्लामिक विद्वानों, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों और शोधकर्ता शामिल हुए।

यूएई के सहिष्णुता मंत्री शेख नाहयान बिन मुबारक अल नाहयान ने अपने उद्घाटन भाषण में इस्लाम के शांतिपूर्ण पक्ष को पेश करने की जरूरत पर बल दिया। कहा, यूएई सभी धर्मो और समुदायों के बीच सकारात्मक और सांस्कृतिक संचार के महत्व का एक जीवंत प्रमाण है। फोरम के अध्यक्ष शेख अब्दुल्ला बिन बय्याह ने कहा, यह मंच शांति व सह-अस्तित्व का निर्माण करने की एक महत्वपूर्ण पहल है।

नरसंहार की रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष सलाहकार अदामा दींग ने दुनिया भर में चल रहे शांति प्रयासों की सराहना की। इसके लिए उन्होंने यूएई और उसके नेतृत्व का आभार जताया। मोरक्को के एंडोमेंट्स एंड इस्लामिक अफेयर्स मंत्री डॉ. अहमद तौफीक ने कहा, शांति और युद्ध के समय लोगों को अपनी जिम्मेदारी से परिचित कराने का कर्तव्य धार्मिक विद्वानों का है।

फोरम में भारत का प्रतिनिधित्व रामिश सिद्दीकी कर रहे हैं। उनका मानना है कि समय आ चुका है कि भारतीय मुस्लिम समाज अपने गलत रहनुमाओं से खुद को अलग करें, जो उन्हें दशकों से नकारात्मकता के मार्ग पर ही धकेल रहे हैं।

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