दारुलउलूम देवबंद से हाल ही में जारी एक फतवे में कहा गया है कि सुन्नियों का शिया हज़रात के यहाँ इफ्तार करना या उन के यहाँ शादियों में खाना खाने से परहेज़ करना चाहिए.इस फतवे से पूरी दुनिया में इस्लाम की छवि को जो नुकसान पहुंचा है उस का अंदाज़ा शायद फ़तवा देने वाले नाम निहाद मुफ्तियों को नहीं होगा.
इस्लाम एक ऐसा मज़हब है जो सारे इंसानों को आपस में मिल्झुल कर रहने की दावत देता है भले ही वे किसी भी मज़हब के हों. इस्लाम कहता है सारे मुसलमान आपस में भाई हैं तो यह कैसे हो सकता है कि एक भाई दुसरे भाई के यहाँ खाना खाने से परहेज़ करे और अगर कोई ऐसा करता है या एक भाई को दुसरे भाई के यहाँ जाने से रोकता है अर्थात वह इस्लाम की बात को नहीं मानता है और इस्लाम की बात को न मानने वाला मुसलमान नहीं हो सकता.
आज हम जिस खतरनाक दौर से गुज़र रहे हैं उस का तकाज़ा यह है कि हम सब फिरका बजी को भुला कर अल्लाह की रस्सी को मजबूती से पकड़ लें और एक प्ल्तेफोर्म पर आजायें और इन नाम निहाद मुल्ला,मौलवी और मुफ्तियों की ग़लत बातों में न आयें.हो सकता है इन मुफ्तियों के फतवों के पीछे कोई ग़ैर इस्लामी लॉबी काम कर रही हो जिस का मकसद मुसलमानों को आपस में बाँट कर हमारी शक्ति को कम करना हो हमें इस से सावधान रहना चाहिए.