भारत में ड्रोन उड़ाने को लेकर कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं, लेकिन जल्द ही देश में ड्रोन उड़ाने को कानूनी मंजूरी मिल सकती है. नागर विमानन मंत्रालय (एविएशन मिनिस्ट्री) ने इसके लिए एक गाइडलाइन तैयार कर ली है. इसके तहत, एक दिसंबर से आम नागरिक देश में कहीं से भी ड्रोन उड़ा सकेंगे. इसके लिए उपयोगकर्ताओं को अपने ड्रोन, पायलट और मालिकों का एक बार रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा.

मंत्रालय की गाइडलाइन के तहत हर फ्लाइट उपयोगकर्ता को मोबाइल ऐप के जरिये अनुमति लेनी होगी. इसके तुंरत बाद ही स्वचालित तरीके से इसका उत्तर यानी परमिट मिलने और नहीं मिलने की जानकारी मिल जाएगी. डिजिटल परमिशन के बिना उड़ान भरने वाला कोई भी ड्रोन टेकऑफ नहीं कर सकेगा. फिलहाल सरकार ने लाइन ऑफ साइट ड्रोन को मंजूरी दी है. हालांकि, इस कंडीशन को आनेवाले वक्त में हटाया भी जा सकता है.

सरकार ने ड्रोन को कुल पांच कैटेगरी में बांटा है. सबसे छोटी कैटेगरी को नैनो कैटेगरी नाम दिया गया है. इसमें 250 ग्राम तक वजन ले जाया जा सकता है, ऐसे करके वजन सीमा को 150 किलोग्राम तक बढ़ाया जा सकता है. वहीं, पहली दो कैटेगरी (250 ग्राम और 2 किलो) वाले ड्रोन को छोड़कर सभी कैटेगरी के ड्रोन को रजिस्टर करवाना होगा. फिर उनका यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर (UIN) भी जारी होगा. पहली दो कैटिगरी को छूट इसलिए दी गई है क्योंकि, उनका इस्तेमाल बच्चे खेलने के लिए करते हैं.

ड्रोन को सिर्फ दिन के समय ही उड़ाने की परमिशन होगी. एयरस्पेस को तीन भागों में बांटा गया है- रेड जोन (इसमें उड़ान की परमिशन नहीं होगी), यलो जोन (नियंत्रित वायु क्षेत्र) और ग्रीन जोन (ऑटो परमिशन).

ड्रोन का लाइसेंस लेने के भी कुछ नियम बनाए गए हैं. मसलन, इसके लिए आपकी उम्र 18 साल होनी चाहिए, दसवीं क्लास तक पढ़ाई की होनी चाहिए और ड्रोन के लिए अंग्रेजी आनी भी जरूरी है.

ड्रोन को लेकर कुछ इलाकों को ‘नो फ्लाई जोन’ भी घोषित किया गया है. इसमें इंटरनेशनल बॉर्डर के पास के एयरपोर्ट्स, विजय चौक, सचिवालय, मिलिट्री इलाके शामिल हैं.

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