यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जो अब तक लखनऊ और गोरखपुर में जनता दरबार करते थे अब ख़ुद जनता के दरबार में पहुंच रहे हैं. योगी ने बीती रात रात्रि प्रवास अमरोहा के एक गांव में किया. उसके पहले उन्होंने चौपाल किया और दलित परिवार में सहभोज किया. अब इसे आप लोकसभा चुनाव की सुगबुगाट कहें या लोकसभा उपचुनाव परिणामों की घबराहट.

योगी आदित्यनाथ जो विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी के स्टार प्रचारक थे या लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का हिंदुत्व चेहरा, अब काफ़ी कुछ बदल गए हैं और ये होना लाज़िमी भी है. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को 73 सीट मिली थी 80 में से, साल 2017 में वो भारी बहुमत से सीएम बने लेकिन ख़तरे की घंटी तब बजी जब योगी ख़ुद अपनी सीट यानी गोरखपुर हार गए और डिप्टी सीएम केशव मौर्य अपनी सीट फूलपुर.

वजह था सपा को बसपा का समर्थन. आगामी लोकसभा चुनाव में अगर दोनों का गठबंधन बन जाता है तो बीजेपी को उतनी सीटें ना आना तो तय है और इसका ठीकरा योगी पर टूटना भी तय है. लिहाज़ा योगी ना सिर्फ़ ग्रामीण वोटर बल्कि दलित वोटरों को साधना चाहते हैं.

यूपी के चार हज़ार गांव दलित बाहुल्य हैं और शायद यही वजह है कि भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार यहां अपने सांसदों, मंत्रियों और विधायकों के ज़रिए उनके बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रही है. कमान ख़ुद योगी ने संभाली है और उन्होंने प्रतापगढ़ के बाद अमरोहा में रात्रि प्रवास किया.

पहले चौपाल लगायी और फिर दलित सहभोज के लिए पहुंच गए मेहंदीपुर गांव, जहां दलित प्रधान के घर जमीन पर बैठ कर उन्होंने सहभोज किया और उनके इस प्रयासों से लोग ख़ुश भी नज़र आए.

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